Saturday, 20 February 2010
शुक्रिया ओबामा! शुक्रिया !!
मेरे पास आज दो अच्छी खबरें हैं एक तो यह कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट के लिए एशिया समूह के सभी 53 देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान और बंगलादेश सहित 19 देशों ने भारत के पक्ष में आवाज उठाई कि उसे सुरक्षा परिषद में स्थान दिया जाना चाहिए।
भारत की उम्मीदवारी को एशिया समूह से बाहर भी व्यापक समर्थन हासिल है। सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर होता है। अस्थायी सदस्यों को दो साल के लिए निर्वाचित किया जाता है।
दूसरी इससे अधिक महत्वपूर्ण है वह यह कि अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दूसरी बार कहा है कि अमरीका को भारत से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है और वह सफल नहीं हो सकता यदि भारत उससे ज्यादा वैज्ञानिक और इंजीनियर पैदा करता है। 19 फरवरी को अपने लास वेगास अभिभाषण में ओमाबा ने कहा कि यदि भारत और दक्षिण कोरिया हमसे ज्यादा वैज्ञानिक एवं इंजीनियर पैदा करते हैं तो हम सफल नहीं हो सकते। यह दूसरा मौका है जबकि ओबामा ने अपने लोगों से कहा कि वे तैयार रहें क्योंकि भारत, चीन और जर्मनी प्रदूषण रहित ऊर्जा प्रौद्योगिकी के मामले में भी आगे बढ़ रहे हैं। इसके पहले भी उन्होंने गणित आदि में भारत के जोर देने को देखकर अपने पिछड़ जाने की चिन्ता जाहिर की थी।
हम ओबामा के शुक्रगुजार हैं कि वे यह मानते हैं कि हम दुनिया भर में दो नम्बर का देश होने की होड़ में नहीं हैं बल्कि एक नम्बर की जगह पर आसीन होने की तैयारी कर रहे हैं। यह क्यों नहीं होगा यदि हम सही तरीके से अपनी बौद्धिक क्षमता का प्रयोग करें।
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आपने सही कहा, हमारे पास सवा सौ करोड़ पेट ही नहीं, सवा सौ करोड़ सिर भी हैं। यही वजह है कि ओबमा को पिछड़ जाने का डर है।
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