
पिछले दिनों मैंने लिखा था कि मधु कोड़ा आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में फंसे हैं और उन्होंने अपनी पत्नी को झारखंड के चुनावी मैदान में उतार दिया है और जैसी अपने देश की राजनीतिक व्यवस्था है वे जीतेंगी। अब जनता को देखो कि उसने भ्रष्टाचार की विजय के मेरे विश्वास को डिगने नहीं दिया। जनता जाने अनजाने व्यवहारिक तौर पर ऐसे लोगों को समाज में नायक बनाये रखती हैं जिनका सैद्धांतिक तौर पर विरोध किया जाता है। मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा की विधानसभा चुनाव में हालिया जीत इसका उदाहरण है। मधु कोड़ा अभी मामलों से बरी नहीं हुए हैं किन्तु उनकी पत्नी की विजय ने बता दिया कि इस देश का जनमत ऐसे लोगों के साथ है। लोकतंत्र की इन विडम्बनाओं का हम क्या करें? राजनीति की लोकतंत्र से बेहतर कोई प्रणाली अभी विकसित नहीं हुई है। ऐसे में इस व्यवस्था की खामियों को दूर करने की कुंजी किसके पास है इस पर विचार करने की आवश्यकता है। मीडिया ने सुर्खियों के बीच उछाला कि हजारों करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा पहली बार सदन पहुंची हैं और इस बार उन्हें सबसे युवा विधायक बनने का भी गौरव प्राप्त हुआ है। क्या हमें ऐसे गौरव की आवश्यकता है?
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