Monday 14 December 2009

नये राज्यों का गठनः कोई सर्वमान्य फार्मूला बनाये सरकार

पृथक तेलंगाना राज्य के गठन की प्रक्रिया शुरू करने की केन्द्र सरकार की घोषणा के बाद देश भर में अलग राज्यों की मांग को लेकर घमासान छिड़ गया है। तेलंगाना पृथक राज्य की मांग का आंदोलन 40 साल पुराना है। और आखिरकार आमरण अनशन पर बैठे तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता के चंद्रशेखर राव को 11 वें दिन केन्द्र सरकार ने आश्वस्त कर दिया कि उनकी मांग पर सरकार कार्रवाई आगे बढ़ायेगी।भारत में आज़ादी के बाद राज्यों का जो बंटवारा हुआ वह न तो अंतिम तौर पर संतोषप्रद है और ना ही यथास्थिति रखने योग्य। कई राज्यों का भौगोलिक आकार इतना बड़ा है कि उसमें देश के ही कई राज्य समा जायें। ऐसे में अगर प्रशासनिक सुविधा के लिए छोटे राज्यों का गठन किया जाये तो इसमें किसी को हर्ज़ नहीं होना चाहिए। इससे प्रशासनिक पैठ बढ़ने और आम नागरिक की उस तक पहुंच बढ़ने से लोगों का फायदा ही होगा। देश के 14 राज्य 21 हुए, फिर 25, फिर 28 और अब 29 वें तेलंगाना राज्य बनने की प्रक्रिया पर सहमति बनी है। इससे देश की अखंडता का कोई प्रश्न नहीं जुड़ा है इसलिए इस विघटनाकारी नहीं माना जाना चाहिए।
लेकिन व्यावहारिक तौर पर यह आशंकाएं बलवती हैं कि कुछ ऐसे दल जिनकी आम जनता में कोई पैठ नहीं है इसका लाभ उठाने के लिए अलग राज्य के आंदोलन को हवा दे सकते हैं और कुछ और जुगाड़ू नेताओं को राजनीति में खाने कमाने के ठेक मिल जायेंगे। दूसरी तरफ केन्द्र सरकार यह सोचती है कि किसी अलग राज्य की मांग करने वालों के पीछे कितना जनाधार कितना है, यदि व आधार कमजोर है या प्रतिबद्ध नहीं है तो उसमें टालमटोल हो सकती है और कम हकदार भी अपनी सही रणनीति के बूते अपनी मांग मनवा सकता है। भाषा का दर्जा दिये जाने के मामले में भी यह देखा गया है और करोड़ों लोगों की भाषा भोजपुरी अब तक आश्वासनों पर ही टिकी हुई है और बाकयदा उसे भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है जबकि कई और भाषाएं हैं जिन्हें बोलने वाले कम हैं मगर भाषा का दर्जा उन्हें प्राप्त है। मराठी भी उनमें से एक है जिसे बोलने वाले राज ठाकरे मराठी से काफी अधिक बोली जाने वाली भोजपुरी के लोगों को आंखें दिखाते हैं।भाषा, सामाजिक व आर्थिक स्थिति, सरकार की बेरूखी आदि के मसले ऐसे होते हैं जो किसी अलग राज्य की मांग को पुष्ट करते हैं और जिनके आधार पर आंदोलन छेड़े जाते हैं।
फिलहाल, गृह मंत्रालय के सामने तेलंगाना सहित 10 पृथक राज्यों की मांगें पड़ी हुई है। और आंध्र में तेलंगाना को मिले आश्वासन ने बाकी को एक नयी उत्तेजना से भर दिया है और उन्होंने अपने सोये आंदोलन को सहसा तेज कर दिया है। इससे एकाएक देश भर में अफरातफरी का माहौल बन गया है और जनजीवन एकाएक शुरू होने आंदोलनों से असामान्य। सरकार को चाहिए कि नये राज्यों के गठन के सम्बंध में बाकायता गहन विमर्श अपने स्तर पर कराये और कोई ऐसा नियम बनाये जिसके आधार पर नये राज्यों के गठन की प्रक्रिया शुरू होना ना कि आंदोलनों से प्रेरित होकर। यह आंदोलनों की आवाज़ सुनने का मसला नहीं है बल्कि प्रशासनिक मामला है और उसे प्रशासनिक तौर तरीकों से ही हल किया जाना चाहिए। चूंकि कांग्रेस नीतिगत स्तर पर छोटे राज्यों की हिमायती रही है ऐसे में उसे कोई उलझने पेश नहीं आयेगी और नये राज्यों के गठन का कोई फार्मूला तैयार करना चाहिए। और उस पर अमल करते हुए आगे काम बढ़ना चाहिए। यही उसका सर्वमान्य हल है अन्यथा एक राज्य का गठन अन्य राज्यों की मांग की चिंगारी को हवा देगा और देश के लोग आंदोलनों के कारण त्रस्त। अभी से कई राज्य बंद को झेलने लगे हैं।
सरकार ने तेलंगाना के गठन की प्रक्रिया की जो शर्तें रखीं है वे अभी तो पूरी होती नज़र नहीं आ रही हैं। तेलंगाना के गठन की प्रक्रिया आसान नहीं है। यह काफ़ी जटिल है। सबसे पहले राज्य विधानसभा में आशय का प्रस्ताव पारित कराना होगा। फिर राज्य के बंटवारे का एक विधेयक तैयार होगा और संसद के दोनों सदनों में ये पारित होगा। इसके बाद राष्ट्रपति ये राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा। इसके बाद संसाधनों के बंटवारे की कठिन प्रक्रिया शुरू होगी। किन्तु जो तेलंगाना की जो आंधी चली है उस पर अब सरकार को ही काबू पाना है। देखना यह है कि यह सरकार नयी चुनौतियों से कैसे जूझती है और उसके पास नये राज्यों के गठन का क्या ब्लू प्रिंट है?
कुछ नये राज्यों के गठन की मांग इस प्रकार हैः आंध्रप्रदेश में ही ग्रेटर हैदराबाद, बंगाल में गोरखालैंड, महाराष्ट्र में अलग विदर्भ राज्य, उत्तर प्रदेश में हरित प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल, गुजरात में सौराष्ट्र, असम में बोडोलैंड, पश्चिम बंगाल और असम के कुछ हिस्से को मिलाकर ग्रेट कूच बिहार, बिहार में मिथिलांचल, पूर्वी उत्तरप्रदेश-बिहार-छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्से को मिलाकर भोजपुर, राजस्थान के नौ जिलों को मिलाकर मरुप्रदेश की मांग।

2 comments:

  1. काहे का फ़ार्मूला जी ,हम तो कहते हैं कि बस कैंची तैयार रखे एक दम पिजा के धार वाली ..जो बोले फ़टाक से .......कट ...एक राज्य तैयार । अपने कार्टूनिस्ट भाई हरिओम जी ने धांसू आईडिया दिया है अभी अभी

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  2. पायोनियर मे एक बार एक सटायर पढ़ा था कि सन 2034 मे इस देश मे 65 राज्य होंगे ?

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