Monday 21 September 2009

आज का मीडियाः आतुरता की विवशता


आज मीडिया में आतुरता की नयी विवशताएं पैदा हुई हैं। पहल की जो होड़ हैवह पत्रकारों को ऐसे कदम भी उठाने पर विवश कर रही है जिसके लिए वे मनसे तैयार भी नहीं होते। कार्य और समय सीमा के अत्यधिक दबाव ने उसे कईबार ऐसे हालत पैदा किये हैं कि समाचारों की पुष्टि भी संभव नहीं हो पाती।कोई भी महत्वपूर्ण ख़बर मिस करने की कवायद उससे ऐसे करवाती है।दूसरी तरफ़ इंटरनेट की विस्तार ने उसे ऐसी ज़गह ला खड़ा किया है कि पत्रकार गुमराह हो जाते हैं। कुछ प्लांटेडख़बर भी सच की शक्ल में सामने जाती हैं तो कोई शरारत कुछ खबरों को जनरेट कर उसके मज़े लेता है।विकीपीडिया ने भी इसके प्रति अतिरिक्त सावधानी बरतनी शुरू कर दी है कि कोई ऐसी सूचना सार्वजनिकप्लेटफार्म पर जाये जिससे लोग गुमराह हो जायें। हाल ही में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के शेल हाउस कोलेकर ऐसा ही हुआ। एक प्रसिद्ध आर्किटेक्ट के मैक्सिको में बनाये गये एक मकान की तस्वीरों को किसी नेअपने ब्लाग पर सचिन के नये मकान के तौर पर पेश कर दिया फिर शुरू हुई उस खबर और उसकी तस्वीरों कोलपकने की दौड़। कितने ही अख़बारों और वेबसाइटों ने उन तस्वीरों को तेंदुलकर के नाम से प्रकाशित कर दियाऔर बाद में उसकी हक़ीकत सामने आयी। यह तो ग़नीमत है कि यह राष्ट्रहित से जु़ड़ी कोई खबर नहीं थी किन्तुयह ख़तरा तो साफ़ दिखायी दे ही गया कि कोई भी ग़लत ख़बर एक ज़गह से चल निलकती है तो हड़बड़ी में मीडियाउसकी पुष्टि करने के बदले उस झूठ को जोर शोर से प्रचारित करने में जुट जाता है।

1 comment:

  1. मीडिया को तो लेकिन, इसी काम के लिए सम्मान मिल रहा था ना कि वो, किसी भी परिस्थिति में समाज को ठीक काम करने के लिए प्रेरित करे लेकिन, अब मीडिया हड़बड़ी में है तो, मीडिया को मिलने वाला सम्मान भी बड़ी हड़बड़ी में सरकता जा रहा है

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