Saturday 5 September 2009

तेल कहां है, तेल किधर है!

जिसे देखो तेल पाने की दौड़ में शामिल है। पहले तो आगे बढ़ने के लिए तेल लगाने की होड़ में दूसरे को लोग पछाड़ते हैं और जब पानीदार हो जाते हैं तो तेल की खोज में निकल पड़ते हैं जो देश जितनी तरक्की करता जाता है तेल का उतना ही प्यासा होता जाता है। देश में दो पूंजीपति अम्बानी ब्रदर्स तेल के लिए एक दूसरे का पानी उतारने में भी नहीं हिचक रहे हैं। दुनिया का समृद्ध देश जिसके आगे सब पानी भरते हैं तेल का प्यासा है और जहां जहां तेल की संभावना दिखती है वहां वहां लोकतंत्र स्थापित करने लगता है। कितने ही सद्दाम हुसैनों का तेल निकालने की फिराक़ में अमरीका जुटा है। लोकतंत्र उसके लिए तेल निकलने का यंत्र है। तेल के प्यासे अमरीका ने तेलदार कई देशों से पंगे ले लिए हैं कि आने वाले दिनों में तमाम देशों से लड़ते लड़ते खुद उसका तेल निकल जाने वाला है। यह अपने मनमोहन सिंह भी जानते हैं इसलिए दुनिया का नम्बर वन होने की तैयारी में लग गये हैं।
चीन से हमारी प्रतियोगिता मानने वालों को यह ध्यान दिला दें कि चीन की हवा तो उसके यहां निर्मित हो रहे तमाम दो नम्बर के उत्पाद ही निकाल देंगे। अभी तो उसके नकली दूध, नकली दवाओं, हानिकारक खिलौनों और मोबाइल फोनों की ही कलई खुली है जल्दी ही पूरी दुनिया में उन सारे उत्पादों की पोल खुलने जा रही है जिन्हें सस्ते में वह दुनिया भर में पाट कर उन देशों का स्थानीय बाज़ार उजाड़ने में जुटा हुआ है।

एकबारगी चीन के उत्पादों के बहिष्कार का क्रम चल निकलेगा तो पूरी दुनिया से वह आउट हो जायेगा और उसके हाथ में सिर्फ कबाड़ बचेगा, अपने ही दो नम्बर के उत्पादों का।
तेल के चक्कर की एक ताज़ा शर्मनाक़ घटना ब्रिटेन में घटी है। उस देश ने अपने 270 नागरिकों की हत्या के लिए ज़िम्मेदार लाकरबी कांड के आतंकी को एक तेल के सौदे के लिए अपनी जेल से रिहा कर उसे देश उसे भिजवा दिया है।1988 में लीबियाई आतंकवादियों ने स्काटलैंड के लाकरबी के पास एक जहाज को उड़ा दिया था। इस घटना में 270 लोग मारे गए थे। ब्रिटेन के लाकरबी बम कांड सजायफ्ता आतंकवादी अली मोहमेत अल मेगराही को रिहा किया कर दिया गया जबकि वह 27 साल कारावास की सजा काट रहा था। कह गया कि मेगराही को प्रोस्टेट कैंसर है इसलिए उसे मानवीय आधार पर सजा में छूट दी गयी और वह देश लीबिया लौट गया। उसकी रिहाई का कारण यह था कि ब्रिटेन को लीबिया से तेल का एक सौदा करना था, जिसकी शर्त थी मेगराही की रिहाई। तेल के सौदे के लिए अपने नागरिकों की मौत की घटना को भूल जाना कौन सी बड़ी बात है। तेल आख़िर बड़ी चीज़ है, जिसके लिए कुछ भी गंवाया जा सकता है।

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