Friday 4 September 2009

माइकल जैक्सन


और आख़िरकार माइकल जैक्सन का अंतिम संस्कार आज 4 अगस्त 2009 को कर दिया गया। अपनी पूरी ज़िन्दगी विवादों में काटने वाले संगीत की दुनिया के इस महान कलाकार की कहानी अभी ख़त्म नहीं हुई है। उसकी मौत और उसकी जी हुई ज़िन्दगी से हज़ारों सालों तक कहानियां निकलती रहेंगी। अपने ज़िस्म को कला के लिए एक माध्यम बना देने का जो कारनामा वह दिखा गये, वह अतुलनीय है। चाहे इसके लिए उसने नशा किया हो, चाहे नाक का बार-बार आपरेशन, चाहे पूरे जिस्म का रंग बदलवाया हो, यह सारे जोख़िम कला को ही तो समर्पित थे। वह एक करिश्मा थे, जो शायद दुबारा अब दुनिया में कोई न दिखा पायेगा। ऊपर वाला अपने आपको किस रूप में व्यक्त करेगा, कहना मुश्किल है।
दो दशक से अधिक हुआ जब मैं उन रातों में सो नहीं पाता था, जब मैंने जीसस क्राइस्ट की पेंटिंग बनायी थी। सपने में मुझे सलीब पर लटके या अपनी सलीब स्वयं ढोते हुए नज़र आते थे। कीलें ठोंकी जाने के कारण लहूलुहान उनकी जिस्म मुझे बेचैन कर देता था। वैसी ही बेचैनी मुझे तब हुई जब जैक्सन की मौत की ख़बर पढ़ी।
यह पढ़कर कि उनकी हड्डियां चटखी हुई पायी गयीं और जगह जगह इंजेक्शन से हुए जख्म मुझे सोने नहीं दे रहे थे। वे पिछले कई दिनों से बेहद कम भोजन कर रहे थे और उनका शरीर हड्डियों का ढांचा बन चुका था। मृत्यु के वक्त उनके पेट में खाने के अंश नहीं, बल्कि सिर्फ गोलियां थीं। जैक्सन गंजे हो चुके थे और उनकी पसलियां टूटी हुई थीं। उनके कूल्हे, जांघों व कंधे पर सुई लगने के घाव थे। उनके नाक की हड्डी लगभग गायब हो चुकी थी। भला हो उस अफवाह का जिसमें कहा गया था कि जैक्सन अपने कार्यक्रम को हिट करने के लिए मौत की अफवाह उड़ा रहे हैं और वह कार्यक्रम के ऐन पहले जीवित लौट आयेंगे। मैंने इस अफवाह पर यक़ीन किया और नींद हासिल हो गयी। लेकिन यह अफवाह महज अफवाह ही साबित हुई।
लॉस एंजिल्स. किंग ऑफ पॉप माइकल जैक्सन की अंतिम विदाई ने आंखे नम कर दी। माइकल जैक्सन की मृत्यु लगभग 2 माह पूर्व 25 जून को हुई थी। उनकी मृत्यु का यक़ीन अब तक नहीं हो पा रहा है क्योंकि जिस तरह के विवादों में उनकी ज़िन्दगी रही है मौत को भी झुठलाने का हुनर वह जान गये हों तो कोई हैरत न होगी। यूं भी किसी के जाने का यकी़न मुझे बड़ी मुश्किल से होता है। बालक ब्रह्मचारी प्रकरण में मुझे लगातार लगता रहा कि कोई चमत्कार होगा और वह जी उठेंगे जैसा कि उनके भक्त मानते थे कि वह निर्विकल्प समाधि पर गये हुए हैं। पचास दिन से अधिक तक उनका शव सोदपुर के सुखचर आश्रम में रखा रहा और सन्तान दल के सदस्य और उन पर यकीन करने वाले मानते रहे कि वह लौट आयेंगे, पर ऐसा हुआ नहीं।
जैक्सन की मौत पर तमाम सवालिया निशान लगाए गये जिसके कारण उनके शव को सुरक्षित रखा गया था। बहरहाल माइकल जैक्सन के मौत की गुत्थी अभी भी सुलझ नही पाई है और पुलिस अभी भी मौत से संबंधित दवाओं की जांच कर रही है। यह सवाल हल करने की कोशिश की जायेगी कि वह सचमुच अपने बच्चों के पिता थे या नहीं। लेकिन अपने बच्चों का जैविक पिता न होने से क्या उनका व्यक्तित्व धूमिल पड़ेगा।

1 comment:

  1. aapna achha likha hai, jackson un logon mein se rahe jinke liye ye kaha ja sakta hai...u love him u hate but u cannot ignore him....

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