Wednesday, 18 March 2015

लघु नाटिका-मुक्ति

मुक्ति

लघु नाटिका

-डॉ.अभिज्ञात

पात्र-

1-महिला सामाजिक कार्यकर्ता
2-सामाजिक कार्यकर्ता का सहायक
3-शिकारी
4-महिला जज
5-पुलिस
6-फारेस्ट आफिसर


दृश्य- एक
(परदा उठता है। झील का दृश्य। सर्दी का मौसम। मध्य एशिया के साइबेरिया से अपने तमाम दोस्तों के साथ उड़कर आया एक ग्रे हंस बल्लभपुर की झील के पास बैठा है। गोली चलने की आवाज़ आती है। हंस कराह कर गिर पड़ता है। झाड़ियों के पीछे से निकलकर एक शिकारी सामने आता है। वह पक्षी को छूकर देखता है। )
शिकारी-चलो बेहोश हो रहा है। एकदम टारगेट पर दाई ओर लगी है यह विशेष गोली। इसे ले चलते हैं। जल्दी ही यह ठीक हो जायेगा फिर बेच दिया जायेगा यह विदेशी बाज़ार में। अच्छी खासी रकम मिलेगी। कितने सुन्दर होते हैं कम्बख्त ये मध्य एशिया के साइबेरियन ग्रे हंस। अपने तमाम दोस्तों के साथ यह हर सर्दी में उड़कर आते हैं। यहां की झीलों में डेरा डालते हैं। यहां अंडे देते हैं। यहीं पर उन्हें सेते हैं। इनके चूजे धीरे-धीरे उड़ना सीखते हैं। और जब सर्दियां ख़त्म हो जाती है वे अपने परिवार और दोस्तों के साथ उड़ जाते हैं। अपने मूल स्थान की ओर।
(शिकारी हंस को गोद में उठाता है और उसे लेकर आगे बढ़ता है कि एक महिला वहां आ पहुंचती है।)
महिला-खबरदार। वहीं रुक जाओ। भागे तो मारे जाओगे। हमारे साथी चारों ओर खड़े हैं। हमारी एनजीओ को बहुत दिन से खबर थी कि तुम लोग इन विदेशी मेहमानों को बेहोशी की गोलियां मारकर अपने कब्जे में ले लेते हो और उनकी तस्करी दूसरे देशों में करते हो। आज रंगे हाथ पकड़े गये। अरे, रामप्रसाद आओ इधर आओ। पकड़ो इसे और ले चलते हैं थाने। और इस हंस को वन विभाग के अस्पताल।
 (एक आदमी आता है और शिकारी की कालर पकड़ कर ले जाता है और महिला हंस को अपनी गोद में लेकर जाती है।)

दृश्य- दो
(अदालत का दृश्य। एक महिला जज कुर्सी पर बैठी है। कटघरे में एनजीओ की महिला कायकर्ता खड़ी है।)
जज-तो शांति देवी। आप बताइए कि उस दिन क्या हुआ था।
कार्यकर्ता-मैं झील के पास से गुज़र रही है थी। मैंने गोली की आवाज़ सुनी। मैं घटनास्थल पर पहुंची तो मैंने पाया कि यह ग्रे हंस बेहोश पड़ा है जिसे एक व्यक्ति उठाकर ले जाने की कोशिश कर रहा है। मुझे लगा कि यह शिकारी है और गोली उसी ने मारी है इसलिए मैंने उसे थाने में दे दिया। और उस पर मुकदमा दायर कर दिया।
जज-तो क्या आप दावे के साथ नहीं कह सकती हैं कि हंस के पास जो व्यक्ति था गोली उसी ने मारी थी।
कार्यकर्ता-जी हां। मुझे बाद में अपनी गलती का एहसास हुआ कि मैंने एक निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है। इसलिए मैं यह मुकदमा वापस लेती हूं और अपनी गलती है लिए अदालत से माफी मांगती हूं।
जज-ध्यान रखे अइन्दा ऐसी गलती न हो। वरना आपको सज़ा हो सकती है।
कार्यकर्ता-जी अब से ऐसा नहीं होगा। आपका शुक्रिया।
जज-वन विभाग को आदेश दिया जाता है कि चूंकि ग्रे हंस अब स्वस्थ हो चुका है इसलिए उसे आज शाम रिहा कर दिया जाये। अदालत की कार्यवाई समाप्त होती है।

दृश्य- तीन
(डाइनिंग टेबल के पास फारेस्ट आफिसर, थानेदार, शिकारी एवं एनजीओ महिला कार्यकर्ता खड़े हैं।)
शिकारी-मैडम आपने मुझे बचाने का जो वादा कल किया था आपने उसे पूरा किया। वरना मेरी जेल तो पक्की थी। आपके लिए जो तोहफा मैंने आपके घर भिजवाया था आशा है पसंद आया होगा।
महिला कार्यकर्ता-आप समझदार हैं।
थानेदार-भई हमें भी तो धन्यवाद तो। मामले को रफा-दफा करने में हमारी भी भूमिका कम नहीं।
शिकारी-यह भी कोई कहने की बात है। और फारेस्ट आफिसर साहब आप का गिफ्ट भी ठीक था न।
फारेस्ट आफिसर-हां जी हां। आपकी गिफ्ट लाजबाब है।
शिकारी-तो हंस साहब को आपने मुक्त कर दिया न।
फारेस्ट आफिसर-एकदम आजाद। ये रहे हंस साहब। हमारे खानसामा ने इन्हें हमारे लिये खास तौर पर बनाया है एकदम लाजबाब। आओ दोस्तो खाओ और हंस की आत्मा की शांति की दुआ मांगो। उन्हें मिल गयी है मुक्ति।
सब एक साथ-मुक्ति....। (सभी मिलकर जोर जोर से हंसते हैं-) मुक्ति हा हा हा हा मुक्ति...
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