Saturday, 29 May 2010

सकलदीप सिंह नहीं रहे

कोलकाता: कोलकाता में लम्बे अरसे तक रहे और उसे ही कर्मक्षेत्र बनाने वाले श्मशानी पीढ़ी के चर्चित कवि व आलोचक सकलदीप सिंह का 21 मई को निधन हो गया। बिहार के जलालपुर (सारण) प्रखंड के विशुनपुरा ग्राम में सन् 1930 में जन्मे सिंह ने काव्य एवं आलोचना के क्षेत्र में साहित्य जगत को अविस्मरणीय सौगात दी है। श्मशानी पीढ़ी के संस्थापक सिंह पांचवें दशक में व्यक्तिक्रम काव्य संग्रह से चर्चा में आये। पत्थर और लकीरें, आकस्मिक, प्रतिशब्द, निसंग और ईश्वर को सिरजते हुए आदि इनके महत्वपूर्ण काव्य संग्रह है। इन्होंने तत्कालीन कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया जिसमें नया संदर्भ भी शामिल है।
यह जानकारी उनके पारिवारिक सदस्य कथाकार जवाहर सिंह और पत्रकार तीर्थराज शर्मा ने फोन पर दी है। जानकारी के मुताबिक वे अपने पुत्र सुजीत सिंह के साथ दुर्गापुर में रह रहे थे। विस्तृत जानकारी के लिए सुजीत सिंह से सम्पर्क फिलहाल नहीं हो सका है।

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