Sunday, 8 May 2011

'मीडिया को अपनी विश्वसनीयता की रक्षा स्वयं करनी होगी

कोलकाता: सदीनामा की ओर से 'मीडिया का समाज और साहित्य पर प्रभावÓ विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन शनिवार की शाम जीवनानंद सभागार, नंदन में किया गया। इसमें वक्ताओं ने मीडिया के व्यवसायीकरण पर चिन्ता जताई और पेड न्यूज जैसी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता पर बल दिया। वक्ताओं का कहना था कि मीडिया लोगों के घर में अपनी पैठ बना चुका है और वह मनुष्य के जीवन के हर मामले को निर्देशित करने की ताकत रखता है इसलिए उसका दिशाहीन होना खतरनाक है। मीडिया को अपनी विश्वसनीयता और जनपक्षधरता की रक्षा स्वयं करनी होगी। कोई बाहर दबाव या दिशानिर्देश इस मामले में उतने प्रभावी नहीं होंगे, जितनी स्वयं उसकी नैतिक जिम्मेदारी होगी। लोकतंत्र में मीडिया की शक्ति तभी बढ़ेगी जब वह भरोसेमंद होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.इकबाल जावेद ने की। वक्ता थे रतनलाल शाह, प्रो.ललित झा, डॉ.अभिज्ञात, अभीक चटर्जी एवं राजेन्द्र केडिया। कार्यक्रम का संचालन जितेन्द्र जितांशु ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रभाकर चतुर्वेदी ने किया।
डॉ.इकबाल जावेद ने कहा कि इंटरनेट पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों ने जहां रचनात्मक कार्य किये हैं वहीं उसका दुरुपयोग भी धड़ल्ले से हो रहा है। वह यदि अण्णा हजारे के पक्ष में व्यापक समर्थन जुटा सकता है तो किसी शक्तिशाली मुल्क के इशारे पर तहरीर चौक में लोगों को अपनी ही सरकार को बेदखल करने के लिए उकसा भी सकता है। उन्होंने कहा कि मीडिया आज पावरफुल हो गया है और पावरफुल होने के कारण करप्ट भी। राजेन्द्र केडिया ने कहा कि मीडिया झूठे सपने बेचता है। वह लोगों की सोच पर ऐसा हावी होता है कि वह अपने ढंग से एक नयी संस्कृति तैयार करने लगा है। टीवी धारावाहिक यह काम बखूबी करते हैं। अभीक चटर्जी ने कहा कि मीडिया डेमोक्रेटिक डिक्टेटरशिप करता है। लोगोंं को पता नहीं चलता कि वह किस सूक्ष्म तरीके से लोगों को वहीं हांक कर ले जाता है जहां वह ले जाना चाहता है। पूरी मीडिया को आम तौर पर कुछ शक्तिशाली लोग नियंत्रित करते हैं और मीडिया के जरिये लोगों को। प्रो.ललित झा ने कहा कि यह सूचना विस्फोट का युग है। सूचनाओं को किसी खास उद्देश्य से प्लांट किया जाता है लोगों के दिलोदिमाग पर उसे हावी कर दिया जाता है। मीडिया तकनीक से ताकत बन गया है। जिस विश्वग्राम को मीडिया की उपलब्धि के तौर पर पेश किया जाता है वह कंसेप्ट बहुत पहले से हमारे उपनिषदों में मौजूद है। उन्होंने कहा कि मीडिया ने ऐसी स्थितियां पैदा की हैं कि स्त्री उपभोग की वस्तु बन गयी है। वह पुरुषवादी नजरिये से स्वयं को टीवी पर पेश करती है। डॉ.अभिज्ञात ने कहा कि मीडिया को साजिश के तहत बदनाम किया जा रहा है क्योंकि लोकतंत्र में स्वतंत्र मीडिया चौथे स्तम्भ का काम करता है। ऐसे में उसके कद का बढ़ जाना बाकी स्तम्भों के लिए चुनौती है। आज मीडिया चाहे तो किसी सरकार को गिरा दे या किसी की सरकार बना दे। ऐसे में जबकि लोकतंत्र के अन्य पायों में खामियां आ गयी हैं राजनीति नहीं चाहती कि उसे चुनौती देने वाली सत्ता मीडिया निष्कलंकित रहे। मीडिया को अपनी विश्वसनीयता और जनपक्षधरता की रक्षा स्वयं करनी होगी। लोकतंत्र में मीडिया की शक्ति तभी बढ़ेगी जब वह भरोसेमंद होगा। उन्होंने कहा कि बिना मीडिया के आज समाजिक परिवर्तन की कल्पना नहीं की जा सकती और आज का मनुष्य बगैर मीडिया के एक दिन संतोषजनक ढंग से एक दिन नहीं बिता सकता। इसके पूर्व सदीनामा-उन्नयन सम्मान 2011 का सत्र था जिसमें हिन्दी, उर्दू, बंगला एवं अंग्रेजी भाषाओं में बीए की परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।

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