Monday, 28 December 2009

आम आदमी के पतन की दास्तान


टीवी धारावाहिक बिग बास में प्रवेश राणा की हार के साथ ही आम आदमी के छवि टूटी है। यह वही आम आदमी है जो विंदू दारा सिंह और पूनम ढिल्लन के सम्पन्न बैगग्राउंड से कुंठित होकर और हताश होकर स्वीमिंग पूल में खाने-पीने की वस्तुएं फेंकने लगा था और उसकी यह हरकत उसे ले डूबी। उसकी हार में बिग बास की स्वयं की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। हम तो इसे फाउल और पक्षपात मानते हैं। खेल वहां फाइनल में बचे तीन प्रतियोगियों के बीच था। राणा ने खाने की चीजें यदि स्वीमिंग पूल में फेंकी तो उसका जवाब बाकी प्रतियोगियों को देना चाहिए था ना कि स्वयं बिग बास को। बिग बास की ओर से एक लघु फिल्म दिखा दी गयी कि कैसे इस देश में लोग भूख से मर रहे हैं और यहां प्रवेश राणा खाने की चीजें बरबाद कर रहा है। इससे उसका नकारात्मक छवि और अधिक उभर कर आयी जिसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा। नतीजा यह निकला कि एक जोकर विंदू दारा सिंह बिग बास बन बैठा। देखने वाले सभी जानते हैं कि उसके दिमाग में कहीं कुछ कम है। अपने आपमें हमेशा बड़बड़ाता आदमी और महिलाओं के प्रति अशोभनीय टिप्पणी करने वाले विंदू का नायक के तौर पर उभरना नायकों की एक नकारात्मक छवि पेश करता है।

1 comment:

  1. कभी कभी सब प्रायोजित सा लगता है.


    यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

    हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

    निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

    एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

    आपका साधुवाद!!

    शुभकामनाएँ!

    समीर लाल
    उड़न तश्तरी

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