Friday 10 August 2012

बांग्ला सांइस फिक्शन पर बनी फिल्म में ब्रात्य बसु

साभारः सन्मार्ग,

10 अगस्त 2012


हॉलीवुड फिल्मों की तरह की साइंस फिक्शन पर बन रही पहली बांग्ला फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं नाट्यकार, रंगकर्मी, प्राध्यापक तथा पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु। प्रतिज्ञा प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले फिल्म 'महाकाश कांडोÓ की शूटिंग के दौरान उन्होंने कहा कि वे हिन्दी फिल्मों में भी काम करना चाहेंगे बशर्ते कोई अच्छा प्रस्ताव मिले। पिछले दिनों कोलकाता के अपर्णा लॉ हाउस में शूटिंग के बीच समय निकालकर संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि हालांकि उनकी हिन्दी बहुत अच्छी नहीं है फिर भी वे स्वयं भी हिन्दी फिल्म बनाने पर भी विचार कर सकते हैं और वे रामगोपाल वर्मा जैसे फिल्म निर्देशकों की फिल्म बनाना चाहेंगे। उन्होंने स्वयं तीन बांग्ला फिल्में बनायी हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही उन्हें मनोरंजक फिल्में पसंद हैं और हाल ही में उन्होंने 'एजेंट विनोदÓ फिल्म देखी है, जो उन्हें बेहद पसंद आयी। वे फिल्मों से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति नहीं पाना चाहते बल्कि वे चाहते हैं कि उनकी फिल्मों से लोगों का मनोरंजन हो। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राजनीति बहुत व्यस्तता का क्षेत्र है फिर भी वे अभिनय के लिए समय निकाल लेते हैं क्योंकि इससे उन्हें सुकून मिलता है।
अपने पसंदीदा अभिनेताओं की चर्चा करते हुए वे कहते हैं 'मैं नसीरुद्दीन शाह को अपना आदर्श मानता हूं वे मेरे भगवान हैं। बेशक उन्हें अमिताभ बच्चन, आमिर खान और सलमान खान का अभिनय पसंद है। इसी क्रम में वे पंकज कपूर का नाम भी लेते हैं। लेकिन नसीरुद्दीन की बात कुछ और हैं व अनपैरलल हैं। मैंंने शाह के कई नाटक देखें हैं और फिल्में भी देखी हैं जिनसे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है।Ó यह पूछने पर कि क्या थिएटर के दर्शक नहीं हैं वे कहते हैं-'हैं, अच्छे नाटक हैं खराब नाटक के नहीं हैं।Ó
ब्रात्य ने महाकाश काण्ड के बारे में कहा कि यह शीर्षेंदु मुखोपाध्याय की विज्ञान-कथा 'गोलमालÓ पर आधारित है। मैंने शीर्षेंदु को पढ़ा है और उनकी रचनाएं मुझे पसंद हैं। इसके पहले मैंने उनकी कहानी पर बनी 'गोसाईंबगानेर भूतÓ फिल्म देखकर उसके निर्देशक नीतीश राय से कहा कि यदि वे उनकी किसी अन्य रचना पर फिल्म बनायें तो मैं उसमें काम करना चाहूंगा। नीतीश ने मेरी 'इच्छेÓ और 'मुक्तधाराÓ फिल्में देखी थीं और उन्होंने मुझे इस फिल्म के लिए कास्ट कर लिया। इस फिल्म में मेरी भूमिका रामानुज की है जो एक रहस्यमय किरदार है। वह फिल्म में दावा करता है कि वैज्ञानिक मधुबाबू का लम्बे समय तक सहायक रहा है और वह उनके अधूरे कार्यों को पूरा करना चाहता है। मधुबाबू अपने बनाये गये यंत्र द्वारा ही अंतरिक्ष में चले गये हैं। मधुबाबू के घर वालों के लिए रामानुज एक पहेली है। यह फिल्म बच्चों के लिए है है। बंगला में साइंस फिक्शन पर बनी फिल्म का का ट्रेंड नहीं है, यह नयापन होगा। इस फिल्म में बांग्ला फिल्मों के सुपरिचित कलाकार विक्टर बनर्जी व कोनिनिका आदि काम कर रहे हैं।
सेट पर उपस्थित हिन्दी फिल्मों में आर्ट डायरेक्टर के तौर पर ख्याति अर्जित कर चुके तथा फिल्म के निर्देशक नीतीश राय ने अलग से की गयी ïिवशेष बातचीत में कहा कि मुझे गोसाईंबागानेर भूत फिल्म पर दर्शकों का अच्छा रिस्पांस मिला था। बच्चों के लिए फिल्म बनाने पर मुझे यह पता चला कि एक दर्शक दो और दर्शकों को ले आता है वह है बच्चों के अभिभावक। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए फिल्म बनाते समय मुझे जिस बात पर विशेष ध्यान देना पड़ा वह है भाषा। बच्चों के लिए बनी फिल्म में ऐसी भाषा का इस्तेमाल होना चाहिए जो सीधी व सरल हो। राय ने कहा कि बच्चों देश में बच्चों के लिए बहुत कम फिल्में बनती हैं, जबकि बच्चों के रूप में दर्शकों का एक बहुत बड़ा तबका है। उन्होंने कहा कि कोलकाता में एक ऐसा सिनेमाहाल होना चाहिए जिसमें केवल बच्चों की फिल्में ही हर समय लगें तथा उसके आसपास का वातावरण भी बच्चों की रुचि के अनुकूल हो ताकि बच्चा अपने अभिभावकों या दोस्तों की टीम के साथ पहुंचे तो वह फिल्म और पूरे वातावरण का लुत्फ उठा सके।
यह पूछने पर कि बांग्ला ही नहीं हिन्दी में भी बच्चों की फिल्मों की बेहद कमी है वह हिन्दी में फिल्म क्यों नहीं बना रहे। उन्होंने बताया कि हिन्दी बनाने पर बजट बहुत बढ़ जाता है। बांग्ला कलाकारों की तुलना में हिन्दी के कलाकारों का रेट अधिक है। दूसरे टेक्नीशियंस के तौर पर रेट का संकट है। टेक्नीशीयंस की यूनियन के नियम के चलते किसी भी प्रादेशिक भाषा की तुलना में हिन्दी का रेट बहुत बढ़ जाता है। रीजनल भाषाओं के लिए रेट कम हैं जबकि हिन्दी के लिए बहुत अधिक हैं। अगर हम बांग्ला के इन्हीं कलाकारों को भी लेकर हिन्दी में यह फिल्म बनायेंगे तब भी टेक्नीशियंस के कारण बजट बढ़ जायेगा। राय ने कई बांग्ला फिल्मों निर्देशन किया है जिसमें प्रमुख हैं तबू मनेरेखो, जामाई नम्बर वन,। एक फिल्म जलेर संसार बनकर तैयार है पर अभी रिलीज नहीं हुई है।-डॉ.अभिज्ञात


‘कृष्‍ण प्रताप कथा सम्‍मान २०११’

आस्था के लुप्‍त होते सूत्रों की खोज करती हैं मनीषा की रचनाएं : संजीव
वर्धा, 10 अगस्‍त; युवा पीढ़ी में मनीषा कुलश्रेष्ठ वेहद संभावनाशील रचनाकार हैं। राजस्‍‍थान के ठेठ चुरू इलाके से आई लेखिका का कथा में प्रवेश करने का ठंग यानि एप्रोच एकदम अलग है। इस एप्रोच के माध्‍यम से वे अपनी रचनाओं में आस्‍था के लुप्‍‍त होते सूत्रों की तलाश करती हैं। एक लेखिका के रूप में उन्‍‍होंने लंबी दूरी तय कर ली है तथा नारी विमर्श में नए रंग जोड़े हैं। वे अपनी कहानियों में पारिवारिक हिंसा को केंद्रीयता प्रदान करती हैं। उनके पास चकित करने वाली भाषा है, काव्‍‍यात्‍‍मक भाषा है। ‘खर पतवार’ पढ़ते हुए मुझे ऐसा ही महसूस हुआ।
वरिष्‍ठ कथाकार संजीव ने मनीषा कुलश्रेष्‍ठ के रचना संसार पर बात करते हुए ये बाते कहीं। अवसर था इलाहाबाद में महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍‍ट्रीय हिंदी विश्‍‍वविद्यालय के सत्‍‍यप्रकाश मिश्र सभागार में ‘कृष्‍ण प्रताप कथा सम्‍‍मान २०११’ का आयोजन। जिसमें कथाकार संजीव बतौर विशिष्‍‍ट अतिथि उपस्थित थे। सम्‍मान समारोह के अध्‍य‍क्ष हिंदी के ख्‍‍यातनाम कथाकार शेखर जोशी ने कहा कि मनीषा अपनी कहानियों में भारतीय एवं ग्रीक मिथकों का सटीक प्रयोग करती हैं। उनकी भाषा अर्जित की हुई भाषा है उनके लेखन में परिपक्‍‍व संभावनाएं हैं।
समारोह के मुख्‍य अतिथि वरिष्‍‍ठ कथाकार एवं महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍‍ट्रीय हिंदी विश्‍‍वविद्यालय के कुलपति तथा कृष्‍ण प्रताप कथा सम्‍‍मान के संस्‍‍थापक विभूति नारायण राय ने कहा कि पहले यह ‘वर्तमान साहित्‍य’ पत्रिका द्वारा आयोजित कृष्‍‍ण प्रताप कहानी प्रतियोगिता के रूप में शुरू किया गया था। लगभग दो दशक तक यह पुरस्‍‍कार सफलता पूर्वक सम्‍‍पन्‍‍न हुआ और बहुत महत्‍वपूर्ण कथाकारों और कहानियों को पुरस्‍कृत किया है1 सन् २०१० से यह कृष्‍ण प्रताप कथा सम्‍‍मान के रूप में दिया जा रहा है। उनका कहना था कि इस सम्‍मान के माध्‍‍यम से वे कृष्‍‍ण प्रताप से अपनी मित्रता का दाय पूरा कर रहे हैं। इसका उद्देश्‍‍य है कि समकालीन कहानी के उन हस्‍ताक्षरों का सम्‍मान करना जो अनुभव, संवेदना और विचार के साथ नए यथार्थ से मुठभेड़ कर कहानी को नए आस्‍‍वाद से समृद्ध कर रहे हैं। उन्‍‍होंने उम्‍मीद जताई कि मनीषा आगे चलकर इस सम्‍‍मान का गौरव बढ़ाएंगी।
‘पुस्‍तक-वार्ता’ के संपादक एवं विशिष्‍ट अतिथि भारत भारद्वाज ने कहा कि मनीषा की कहानियों में वे साधारण लोग जगह पाते हैं जो लोक कला को जीवित रखे हैं। उनकी कहानियों की विशेषता यह है कि उनमें प्रखर राजनीतिक चेतना है और सांप्रदायिकता के विरोध की रचनात्‍‍मक ऊर्जा भी। बतौर वक्‍ता युवा आलोचक कृष्‍ण मोहन ने कृष्‍‍ण प्रताप के सत्‍‍या प्रकाशित कहानी संग्रह ‘कहानी अधूरी है’ के हवाले से उनकी कहानियों की खूबियों और आलोचनात्‍‍मक लेखों का उल्‍‍लेख करते हुए कहा कि उन्‍हें फिर से पढ़ने की जरूरत है। सम्‍‍मानित लेखिका मनीषा कुलश्रेष्‍ठ ने अपने वक्‍तव्‍य में कहा कि यह एक शहीद हुए इंसान के नाम पर दिया जाने वाला सम्‍‍मान है, जो साहित्‍य के भी एक गहरा रिश्‍ता रखते थे, इसलिए वो यह सम्‍मान पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।
सम्‍मान समारोह का संयोजन आयोजन समिति के सदस्‍य प्रो.संतोष भदौरिया ने किया। आभार सम्‍मान समारोह के संयोजक नरेन्‍‍द्र पुण्‍डरीक ने किया तथा अतिथियों का स्वागत अनामिका प्रकाशन के विनोद कुमार शुक्‍‍ल, डॉ.पीयूष पातंजलि तथा डॉ. प्रकाश त्रिपाठी ने किया।

सम्‍मान समारोह में प्रमुख रूप से दूधनाथ सिंह, वी.रा. जगन्‍‍नाथन, नीलम शंकर, के.के. पाण्‍डेय, मीना राय, नन्‍‍दल हितैषी, हिमांशु रंजन, संतोष चतुर्वेदी, जमीर अहसन, फखरूल करीम, पूनम तिवारी, अशोक सिद्धार्थ, रेनू सिंह, यश मालवीय, रविनंदन सिंह, नरेन्‍‍द्र पुण्‍‍डरीक, श्रीप्रकाश मिश्र, अनिल भौमिक, जे.पी. मिश्र, रमेश ग्रोवर, कान्ति शर्मा, जयकृष्‍‍ण तुषार एवं शशिभूषण सिंह सहित तमाम साहित्‍य प्रेमी उपस्थित थे।

प्रस्‍‍तुति - अमित विश्‍वास

Friday 3 August 2012

बच्चों की फिल्म में काम कर रहे हैं ब्रात्य बसु

साहित्यकार शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय के उपन्यास गोलमाल पर आधारित फिल्म महाकाश कांडो में इन दिनों पश्चिम बंगाल के उच्च शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु अभिनय कर रहे हैं। शूटिंग स्थल पर उनसे तथा फिल्म के निर्देशक नीतीश राय से रोचक बातचीत हुई। उस अवसर पर मैंने कुछ तस्वीरें भी ली थीं। बातचीत जल्द आपके सामने होगी, फिलहाल कुछ तस्वीरें।



शूटिंग की व्यस्तता के बीच मीडिया से बातचीत करते ब्रात्य बसु




















शूटिंग की तैयारियों के बीच फिल्म निर्देशक नीतीश राय


















फिल्म महाकाश काण्डो के सेट पर अन्य कलाकारों के साथ ब्रात्य बसु

सारी तस्वीरें-डॉ.अभिज्ञात
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...